पतिदेव से रास्ते का नक्शा कागज पर बनवा कर सहेज लिया।
2.
पत्रावली पर एडवोकेट कमिशनर की रिपोर्ट कागज संख्या 23ग / 1 मय नक्शा कागज संख्या 23ग/2 उपलब्ध है।
3.
वन विभाग द्वारा अतिक्रमण की हुई भूमि का नक्शा कागज सं0-अ3 / 5 दाखिल किया है, जो गवाह पी0डब्ल्यू0-1 मोहन सिहं गंगोला द्वारा सिद्ध किया गया है।
4.
अगर वास्तव में यह रास्ता होता तो बन्दोबस्ती नक्शा कागज संख्या-27ग में गाटा संख्या-584 के पश्चिम में अवश्य ही रास्ता दर्शाया गया होता, लेकिन इस तरह का कोई रास्ता इस बन्दोबस्ती नक्शे में मौजूद नहीं हैं।
5.
वादी द्वारा प्रस्तुत वादपत्र के साथ नक्शा कागज संख्या-12ग / 4के अवलोकन से स्पष्ट है कि खेत संख्या-205 के दक्षिण में खेत संख्या-201 है और खेत संख्या-205 के पश्चिम में खेत संख्या-204,203 हैं और खेत संख्या-203 के दक्षिण में खेत संख्या-202 हैं।
6.
पत्रावली पर मौजूद नक्शा कागज सं0-4क / 5,111क/5,122क/5, नक्शा आयुक्त आख्या 29ए/4 का परिशीलन करने पर पता चलता है कि दावा दायरी के समय प्रस्तुत नक्शा नजरी वादी में विवादित भूमि की उत्तरी भुजा प, भ एवं वादी के मकान के मध्य खाली सार्वजनिक भूमि प्रदर्शित किया गया था।
7.
उक्त विक्रय पत्र के साथ संलग्न नक्शा कागज संख्या 29ग / 4 पत्रावली पर उपलब्ध है जिसमें श्रीमती नाजा अहमद द्वारा श्रीमती किरन वैश्य को बेची गई सम्पत्ति अक्षर ए0बी0सी0डी0 से दर्शाई गई है जिसमें ए0 से बी0 की दूरी 40 फिट, बी0 से सी0 की दूरी 55 फिट, सी0 से डी0 की दूरी 40 फिट और डी0 से ए0 की दूरी 55 फिट दर्शाई गई हैं।
8.
पत्रावली पर एक नक्शा कागज संख्या 8ग, प्रदर्ष-1 है जो कि दिनांक 5.8.89 को तैयार किया गया है जबकि नियमितीकरण वादीगण के द्वारा ही दाखिल प्रपत्र के अनुसार दिनांक 21.5.1990 का है जिससे यह तात्पर्य निकलता है कि जिन नम्बरों के नियमितीकरण का नक्षा वादीगण बताते हैं वह नक्शा नियमितीकरण का नहीं है क्योंकि उसमें खसरा संख्या 152 व 153 प्रदर्शित है जबकि नियमितीकरण प्रपत्र कागज संख्या 6ग व 7ग के अनुसार वादीगण को खेत संख्या 152 मध्ये 10 नाली भूमि ही नियमितीकरण हुई थी।